अतिरिक्त >> सच की खोज सच की खोजलीला जॉर्ज
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प्रस्तुत है लीला जॉर्ज की रोमांचक कहानी सच की खोज ....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
राजकुमार का जन्म
दो हजार पाँच सौ साल से भी पहले की बात है। भारत में, हिमालय की छाया में
एक नगर था। नाम था कपिलवस्तु। यह शाक्यों की राजधानी थी। शुद्धोधन इसके
राजा थे। महामाया उनकी रानी थीं।
एक रात महामाया ने अजीब सा सपना देखा। उसने देखा कि एक सफेद हाथी है। वह अपनी सूड़ में कमल का फूल लिए उसके पास आया। तीन बार महामाया के चारों ओर घूमा। फिर उसके गर्भ में समा गया।
पंडितों ने सपने का मतलब बताया। महारानी पुत्र को जन्म देने वाली हैं।
प्रसव का समय निकट आया। महामाया अपने मायके के लिए निकलीं। रास्ते में एक जगह थी लुम्बिनी। वहाँ साल के पेड़ों का कुंज था। इसी कुँज में महामाया ने एक जगह पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम रखा सिद्धार्थ।
महारानी कपिलवस्तु लौट आयी। हर ओर खुशियाँ छा गयीं।
कुछ ही समय बाद एक साधु आया। नवजात बालक को देख बोल उठा- ‘‘यह बालक महान है।’’
इतना कहने के बाद वह रोने लगा। राजा को चिंता हुई। रोने का कारण पूछा। साधु बोला, ‘‘यह बालक जगत में ज्ञान की रोशनी फैलायेगा। मैं बूढ़ा हो चला हूं। मैं वह दिन नहीं देख सकूंगा। यही मेरे रोने का कारण है।’’
बालक सात ही दिन का हुआ था की महामाया चल बसीं। उसकी बहन थी प्रजापति गौतमी। उसी ने बालक का लालन-पालन किया। इसलिए सिद्धार्थ का दूसरा नाम गौतम भी पड़ा।
एक रात महामाया ने अजीब सा सपना देखा। उसने देखा कि एक सफेद हाथी है। वह अपनी सूड़ में कमल का फूल लिए उसके पास आया। तीन बार महामाया के चारों ओर घूमा। फिर उसके गर्भ में समा गया।
पंडितों ने सपने का मतलब बताया। महारानी पुत्र को जन्म देने वाली हैं।
प्रसव का समय निकट आया। महामाया अपने मायके के लिए निकलीं। रास्ते में एक जगह थी लुम्बिनी। वहाँ साल के पेड़ों का कुंज था। इसी कुँज में महामाया ने एक जगह पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम रखा सिद्धार्थ।
महारानी कपिलवस्तु लौट आयी। हर ओर खुशियाँ छा गयीं।
कुछ ही समय बाद एक साधु आया। नवजात बालक को देख बोल उठा- ‘‘यह बालक महान है।’’
इतना कहने के बाद वह रोने लगा। राजा को चिंता हुई। रोने का कारण पूछा। साधु बोला, ‘‘यह बालक जगत में ज्ञान की रोशनी फैलायेगा। मैं बूढ़ा हो चला हूं। मैं वह दिन नहीं देख सकूंगा। यही मेरे रोने का कारण है।’’
बालक सात ही दिन का हुआ था की महामाया चल बसीं। उसकी बहन थी प्रजापति गौतमी। उसी ने बालक का लालन-पालन किया। इसलिए सिद्धार्थ का दूसरा नाम गौतम भी पड़ा।
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